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Bihar State Universities Statutes

STATUTES CHAPTER 15 ( Statute regarding Regularisation of Services of Purely Temporary Lecturers [No. 3666/G.S. (1) dated 16.11.1978] )

15. Statute regarding Regularisation of Services of Purely Temporary Lecturers [No. 3666/G.S. (1) dated 16.11.1978]
(As approved by the Chancellor on 01-12-1978 vide his Deputy Secretary’s letter no. 3666/GS (I) 16-11-1978)
प्राध्यापकों की नियुक्ति से सम्बन्धित परिनियमों में किसी बात के होने पर भी विश्वविद्यालय के ऐसे प्राध्यापकों की नियुक्ति जो 19 नवम्बर 1977, को कार्यरत रहे हों निम्नलिखित शर्तों के आधार पर बिहार लोक सेवा आयोग⁄विश्वविद्यालय सेवा आयोग की अनुशंसा पर की जा सकेगीः– विश्वविद्यालय सेवा में नियुक्ति ऐसे अस्थायी व्याख्याता जिन्होंने बिहार राज्य के किसी विश्वविद्यालय⁄ विभाग अथवा एक या एक से अधिक अंगीभूत अथवा संबंधन प्राप्त महाविद्यालय में दो या दो से अधिक शैक्षिक सत्रों में तिथि 30.06.77 को कुल मिलाकर 18 माह की वास्तविक सेवा की है और अस्थायी नियुक्ति में कुलाधिपति की राय में अधोलिखित शर्तें पूरी होती हैं, तो कुलपति विश्वविद्यालय सेवा में उनकी नियुक्ति पर, अधिनियम के अनुसार अनुशंसा करने के लिए बिहार लोक सेवा आयोग को सिफारिश कर सकते हैं और बिहार लोक सेवा आयोग उनके मामले पर विचार कर विश्वविद्यालय द्वारा नियुक्ति हेतु अनुशंसा कर सकता हैः– जिस पद पर तत्काल सम्बन्धित व्याख्याता कार्यरत हैं वह पद विधिवत सृजित हो। जिन पदों पर की गयी नियुक्तियों को मिलाकर तिथि 30.07.77 को कम–से–कम 18 माह की वास्तविक सेवा पूरी होती है वे सभी पद नियुक्ति के समय विधिवत सृजित थे। दिनांक 30.06.77 को 18 माह की वास्तविक सेवा के पूर्व उनकी नियुक्ति किसी विश्वविद्यालय⁄अंगीभूत महाविद्यालय में विधिवत स्वीकृत व्याख्याता पद पर राज्य सरकार द्वारा विज्ञापन के लिये मान्यता प्राप्त पटना से निकलनेवाले दैनिक समाचार–पत्र जैसे इंडियन नेशन, सर्चलाईट, प्रदीप, आर्यवर्त या भारत के किसी प्रमुख दैनिक समाचार–पत्र में विज्ञापित हुआ था तथा विश्वविद्यालय, महाविद्यालय द्वारा गठित चयन समिति की अनुशंसा पर की गयी थी और चयन समिति द्वारा चयन करने में किसी विशेषज्ञ या विषशेषज्ञों की सहायता ली गयी थी तथा समिति द्वारा परिनियम में विहित अर्हता के आधार पर चयन सूची तैयार की गयी थी। उनका कार्य संतोषप्रद रहा हो। ऐसे व्याख्याता की वरीयता की गणना राज्य के लोक सेवा आयोग की अनुशंसा की तिथि से की जायेगी तथा उन्हें वार्षिक वेतन वृद्धि भी उस तिथि के आधार पर अनुमान्य की जायेगी। ऐसे अस्थायी शिक्षक जिनकी वास्तविक सेवा अवधि दिनांक 30.06.77 को विधिवत स्वीकृत पद पर 18 महीने से कम परन्तु 6 माह या 6 माह से अधिक की रही है और वे 19 नवम्बर, 1977 को किसी विधिवत स्थायी स्वीकृत पद पर कार्यरत रहे हैं और उनकी नियुक्ति में उपर्युक्त उप–कंडिका (1) में विहित सभी शर्तें पूरी होती है तो उन्हें उनके पद के विज्ञापन पर आयोजित अन्तर्वीक्षा में शामिल होने के लिए उसी अर्हता के आधार पर आयोग बुला सकेगा जो उसकी स्थायी नियुक्ति के समय सम्बन्धित विश्वविद्यालय के परिनियम में विहित थी। सम्बंधन प्राप्त कॉलेजों में नियुक्त अस्थायी व्याख्याताओं के मामले को विश्वविद्यालय सेवा आयोग के विचारार्थ कुलपति द्वारा अपनी अनुशंसा के साथ भेजने में उन्हीं शर्तों एवं प्रतिक्रिया का पालन किया जायेगा जो विश्वविद्यालय सेवा में नियुक्त अस्थायी व्याख्याताओं के सम्बंध में उपर्युक्त उप–कंडिका में विहित हैं।
Statutes Part II [151 नोट– (1) इस परिनियम में उल्लेखित “प्राध्यापक” एवं “व्याख्याता” दोनों शब्दों का अर्थ एक ही हैं, यथा “लेक्चरर”। (2) इस अनुच्छेद में उद्धृत परिनियम कुलाधिपति द्वारा दिनंक 01.11.1978 को अनुमोदित हुआ, जिसे उनके उप–सचिव ने पत्रांक 3666 जी०एस० (1) दिनांक 16 नवम्बर, 1978 द्वारा परिचारित किया।

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